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सो णट्ठचारित्तो। (प्रव.चा.६५) -मिच्छत पुं न [मिथ्यात्व मित्यात्व से रहित, विपरीत मान्यता से रहित। पणट्ठकम्मट्ठ पट्टमिच्छत्ता। (बो.५२) णड पुं नट] नर्तक,नट,जाति। -सवण पुंश्रमण] नटश्रमण। जो धर्म से दूर रहता है, जो दोषों से युक्त है, ईख के पुष्प से समान निष्फल एवं निर्गुण, नग्नरूप में रहने वाला नट श्रमण है। (भा.७१) पत्थि अ [नास्ति अभावसूचक अव्यय, नहीं। (पंचा.११, स.६१,
प्रव.१०, द.३) णभ न [नभस्] आकाश, गगन। (प्रव. जे.४५) णभसि
(स.ए.प्रव.६८) णम सक [नम् नमन करना, प्रणाम करना, झुकना। (निय.१, भा.१, मो.२) णमिऊण (सं. कृ. निय.१,भा.१, मो.२, द्वा.१) णमंति (व.प्र.ब.भा.१५२) णमंस सक निमस्य] नमन करना, नमस्कार करना। णमंसित्ता। (सं
कृ. प्रव. चा.७) णमंसण न [नमस्यन] नमन, वंदन। णमंसणेहिं (तृ. ब. प्रव.
चा.४७) णमि पुं [नमि] इक्कीसवें तीर्थकर,नमिनाथ। (ती.भ.५) णमुक्कार पुं नमस्कार नमन, प्रणाम। काऊण णमुक्कारं। (द.१) णमो अ [नमस्] नमन, प्रणाम। (पंचा.१, प्रव.४, भा.१२८). णमोकार पुं नमस्कार नमन। (लिं.१)
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