Book Title: Kundakunda Shabda Kosh
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Digambar Jain Sahitya Sanskriti Sanskaran Samiti
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331 सब प्रकार से । (पंचा.३५, मो.२९, भा.६३) ववहारं चयइ सव्वहा सव्वं (मो.३२)सब्बो (प्र.ए.भा.३३) सब्बे (प्र.ब.स.१२८) सव्वं (द्वि.ए.स.१६०) सव्वे (द्वि.ब.पंचा.३९) सव्वेहि (तृ.ब.मो.२२) सब्बस्स (च. ष.ए.स.४) सव्वेसिं सव्वाणं (च./ष.ब.स.२३१ भा.१४३) सव्वम्हि (स.ए.स.२४२) सब्वेसु (स.ब.प्रव.चा.५९) सव्वा (प्र.ए.स.२६) सव्वाणि सव्वाई (द्वि.ब.प्रव.४९, भा.२२) सवण्हु पुं सर्वज्ञ] सर्वज्ञ, प्रभु। (पंचा.१५१, स.१५२, प्रव.१६,
चा.१) सव्वण्हू सव्वलोगपदिमहिदो। (प्रव.१६) ससक्ति वि [स्वशक्ति अपनी शक्ति, निजबल। कुणइ तवं संजुदो
ससत्तीए। (मो.४३) ससहर पुं [शशहर] चन्द्रमा, चाँद। (भा.१४५) -बिंब वि [बिम्ब]
चन्द्रमण्डल। ससहरबिंब ख मंडले विमले। (भा.१४५) सस्स न [शस्य] धान्य, चांवल। (प्रव.चा.५५, लिं.१६) -काल पुं [काल] धान्य का समय। वीयाणि व सस्सकालम्मि। (प्रव.चा.५५) सस्सद/सस्सय वि [शाश्वत् नित्य, अविनाशी,अविनश्वर।
(पंचा.३७, द्वा.४८) सो सस्सदो असद्दो। (पंचा.७७) सह अक [सह] सहन करना, झेलना। (भा.३८, सू.१२, बो.५५)
दस दस दो सुपरीसह सहदि। (भा.९४) सह वि [सह] 1.सहिष्णु, सहन करने वाला। उवसग्गपरिसहसहा। (बो.५५) 2.अ [सह] साथ, संग, सहित। जइ जीवेण सहच्चिय।
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