Book Title: Kundakunda Shabda Kosh
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Digambar Jain Sahitya Sanskriti Sanskaran Samiti
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335 निय.१०२, बो.११) पावंति हु सासयं मोक्खं (मो.८१) सासण न [शासन] 1. जिन शासन, आगम। (प्रव.चा.७५, पंचा.५७, भा.८३) बुज्झदि सासणमेयं । (प्रव. चा.७५) 2. आज्ञा,
शासन। साह सक [साध्] सिद्ध करना, बनाना, वश में करना।
(निय.१५५, सू.१, चा.३१) साहंतिजं महल्ला। (चा.३१) साहम्मि वि [साधर्मिन् समान धर्म वाला, एक जाति के। साहम्मि
य संजदेमु अणुरत्तो। (मो.५२) साहा स्त्री [शाखा] वृक्ष की डाल। (द.११) -परिवार [परिवार]
शाखापरिवार। साहापरिवारबहुगुणो होई। (द.११) साहीण वि [स्वाधीन] स्वायत्त, स्वतन्त्र। साहीणो समभावो।
(निय.११०) साहु पुं [साधु] मुनि,श्रमण,यति। (पंचा.१३६,स.३३,प्रव.४, निय.५७, सू.१२, भा.५६, मो.१५) गुण- गणविहूसियंगो हेयोवादेयणिच्छदो साहू। (मो.१०२) साहू (प्र.ए.मो.१०२) साहू (प्र.ब.सू.१२, स.३१) साहुं (द्वि.ए.स.३२) साहुणा (तृ.ए.स.१६) साहुस्स (च./ष.ए.स.३३) साहूणं (च. ष.ब.प्रव.४, सू.१७) साहुसु (स.ब.पंचा.१३६) सिंच सक [सिच्] सींचना, छिड़कना। वरखमसलिलेण सिंचेह। सिंह (वि. आ. म.ब.भा.१०९) सिक्खा स्त्री शिक्षा] उपदेश, अभ्यास, शिक्षण। दायारी दिक्खसिक्खा। (बो.१७) -वय पुं न [व्रत] शिक्षाव्रत।
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