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154 णिक्कसाय वि [निष्कषाय] कषाय रहित । (निय.१०५) णिक्काम [निष्काम] अभिलाषा रहित, इच्छारहित, वासनारहित,
विषयासक्ति से रहित । (निय. ४४) णिक्कोह वि [निष्क्रोध] क्रोध रहित, क्षमाशील, क्षमागुणवाला।
(निय.४४) णिक्खेव पुं [निक्षेप] निक्षेप,न्यास।नाम,स्थापना,द्रव्य और भाव के
भेद से निक्षेप के चार भेद हैं। (चा.३७) णिगोद/णिगोय पुं निगोद] अनन्तजीवों का एक साधारण शरीर विशेष,निगोद पर्याय। (भा.२८) -वास न [वास] निगोदवास, निगोद स्थान। इस निगोद पर्याय में जीव ने अन्तर्मुहूर्त में छयासठ हजार तीन सौ छत्तीस बार जन्म-मरण प्राप्त किया है। (भा.२८) णिग्गंथ पुं निर्ग्रन्थ] संयत, मुनि,तपस्वी। (प्रव. चा.६९, निय. ४४, बो.५८) जो पांच महाव्रतों से युक्त तीन गुप्तियों से सहित संयमी है, वह निर्ग्रन्थ है तथा वही मोक्षमार्गस्वरूप है। पंचमहव्वय जुत्तो,तिहिं गुत्तिहिं जो य संजदो होई।णिग्गंथमोखमग्गो,सो होदि हु वंदणिज्जो य। (सू.२०) बोधपाहुड में निर्ग्रन्थ शब्द को और अधिक स्पष्ट किया गया है-जो निर्दोष चारित्र का आचरण करता है जीवादिपदार्थों को ठीक-ठीक जानता है और शुद्ध
सम्यक्त्वस्वरूप आत्मा को देखता है, वह निर्ग्रन्थ है। (बो.१०) णिग्गद वि [निर्गत] निःसृत, बाहर निकला हुआ। राया हु णिग्गदो
त्ति य । (स.४७) णिग्गह पुं निग्रह] निरोध, वश में, अधीन।-मण पुंन [मनस्] मन
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