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176 [माष] छिलका सहित उड़द दाल। तुममासं घोसंतो। (भा.५३) तूस अक [तुष्] संतुष्ट होना, खुश होना, प्रसन्न होना। (स.३७३)
तूसदि (व.प्र.ए.स.३७३) ते त्रि [त्रि तीन। -इंदिय न [इन्द्रिय] त्रीन्द्रिय, तीन इन्द्रिय | (पंचा.११५) -काल पुं [काल] तीन काल। भूत, भविष्यत् एवं वर्तमान। तेकालणिच्चविसमं। (प्रव.५१) -कालिक वि [कालिक] तीन काल संबंधी। (प्रव.४८) ते चेव अत्थिकाया, तेकालियाभावपरिणदा णिच्चा। (पंचा.६) -याला स्त्री न [चत्वारिंशत्] तेतालीस। (भा.३६) -रस/रह स्त्री न [दश] तेरह, त्रयोदश। (स.११०, बो.३१) तेरसकिरियाउ भावतिविहेण। (भा.८०) -लोक्क पुं [लोक्य] तीन लोक। (पंचा.७६) यहाँ पर लोक शब्द का लोक्क नहीं बना, अपितु जनप्रचलित लोक को लोक्य, जो बोलने में आता है, वही है। तेउ पुं [तेजस्] आग, अग्नि, तेज,अग्निकाय विशेष। (प्रव.जे.७५) तेज पुं तेजस्] तेज, ताप, प्रकाश। सयमेव जधादिच्चो, तेजो
उण्हो य देवदा णभसि। (प्रव.६८) तेजयिअ वि तेजयिक तैजस शरीर विशेष | शरीर के भेदों में
तैजस भी एक भेद है। (प्रव.जे.७९) तेल न (तैल] तेल।मूंगफली, विनोला, सोयाबीन या तिल से निकाला गया तरल पदार्थ। (निय.२२) तो अ [तदा] तब,तो,फिर भी, क्योंकि। (स.१७, २२४, भा.२२, द.२६) तो सत्तो वत्तुं जे। (स.२५)
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