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बौद्धोना अध्यात्मग्रन्थोमां कई पण देखातुं नथी. आगल जतां जैन अने बौद्धोना केटलाक विचारो ब्राह्मणोनी साथे मलता छे ते बताया छे. नेमके - पूर्वजन्म, पूर्वजन्मनां करेलां कर्म, इत्यादि. पुनः जैनोना तीर्थकरो चोवीश, तो बौद्धोना पचीश, आमां पण चोवीशनी कल्पनाज प्राचीन ठरावी जैनोने प्राचीन ठराव्या छे.
आम उपर जणाव्या प्रमाणे केटलीक वातो जैनधर्मवालानी बौद्ध ने ब्राह्मणोथी सरखी अने केटलीक जैनोनी स्वतंत्र बतावी छेवटमां निकाल करतां जणाववामां आव्युं छे के जैनधर्म ए बौद्ध धर्ममांथी. निकलेलो नथी. तेनो उद्भव स्वतंत्र होवाथी बौद्धधर्ममांथी विशेष लोधुं पण नथी. बौद्ध अने जैन ए बन्नेओए पण पोतानो धर्म, नीति, शास्त्र, तत्वज्ञान अने सृष्टिनी उत्पत्तिनी कल्पनाओ विगेरे, बधो प्रकार ब्राह्मणो पासेथी विशेष करी सन्यासीओ पासेथी लीघेलो छे, अहीं सुधी जे विवे
मां आव्युं हतुं ते जैनलोकोना पवित्र ग्रंथोमां लखेली दंतकथाओ विगेरेने प्रमाण मानीने कर्यु हतुं.
बार्थ साहेबनो मत एवो हतो के - जैनोनो पंथ केटलाक सैकाओ सुधी क्षुद्र अवस्थामां होवाने लीधे, पोताना धर्मग्रंथो लखेला नहीं होवा जोईए. विगेरे दलीलो यथार्थ नथी, एटलुंज
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