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तेनाथी पण प्राचीन छे. बौद्धना ग्रंथो निर्विवादपणे साधन मनाय छे, त्यारे बौद्धना ग्रंथो करतां विशेष करी उत्तरीय बौद्ध ग्रंथो करतां जैनग्रंथोनुं धोरण घणुंज जुएं जणाय छे. जैनधर्मना ग्रंथोनी जे वास्तविक योग्यता छे तेनुं तेवा प्रकारचें स्वरूप लोकाना समक्ष मुकर्बु अगत्यनुं छे.
ए संबंधी शोधखोल करतां जनधर्मना संस्थापक छेल्ला तीर्थकर “ महावीर" नामनी खरेखर कोई व्यक्ति नथी पण जैनधर्मना अनुयायीओमांनी आ एक व्यक्ति छे. तेनुं निराकरण सयुक्तिक थई शके तेवी माहीती उपलब्ध थई छे. आ प्रमाणे अनेक युक्ति प्रयुक्ति बतावी जैनधर्मना नायक महावीरनी अने बौद्धधर्मना नायक गौतमनी सर्वथा प्रकारथी भिन्नता बतावी अंतमां लख्युं छे के महावीरना चरित्र- विवेचन करवानुं कारण एटलंज के जैनधर्मनी उत्पत्ति बुद्ध धर्ममांथी न होईने बिलकुल स्वतंत्र छे, एनो निकाल करती वखते उपयोगी थशे, इत्यादि कहीने-प्रोफेसर बेवरनो बौद्धनी शाखा तरीकेनो मत, अनेक प्रमाणोथी अयोग्य थएलो जणाव्यो छे. प्रो० लेसने पण जैनो करतां बौद्धने प्राचीन ठराववा प्रमाणो आप्यां छे ते योग्य थएलां नथी-जेम के प्रथम तीर्थंकरोनी पूजाविधि, बौद्ध पासेथी जनोए
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