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साधु की हठ
चलते-चलते वह साधु एक घर के आगे ठहर गया। वह घर शहर के कोतवाल का है, जो मुसलमान है । द्वार पर टाट का परदा पड़ा है। __साधु के लिए यह व्यवसाय और स्थान नया है । उसने सदा दी-"माई, द्वार पर साधु खड़ा है, भीख दे।"
भीतर आँगन में स्वयं कोतवाल कुर्सी पर बैठे हुए हुक्का पी रहे थे। आवाज़ उनके कानों में पड़ी; पर उसका उत्तर देने के स्थान में वे इस फकीरी पेशे के बारे में कुछ अप्रिय बातें सोचने में लग गये। ___ साधु की आवाज़ फिर आई । उन्होंने सोचा, इस तरह बोलबोल कर थककर खुद चला जायगा और इस निश्चिन्त निश्चय के साथ हुक्के की नैची, जो इस समय मुंह से विलग हो गई थी, फिर उनके मुंह से पा लगी।
परदा हिलता नहीं है और माई ने कदाचित् सुना नहीं है, मन में यह सोच परदा उठा, साधु घर में प्रविष्ट हुआ, "माई, साधु आता है, भीख दे।"
दारोगा इसके लिए तैयार न थे। साधु की आवाज को बढ़ती आती हुई सुन वह तनिक व्यस्त और निरस्त हुए । साधु आकर