Book Title: Jain Vidya 04
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 45
________________ जैनविद्या अपभ्रंश साहित्य, वही, पृष्ठ 102 27. तीर्थंकर महावीर और उनकी श्राचार्य परम्परा, भाग 4, पृष्ठ 116 28. अपभ्रंश साहित्य, प्रो० कोछड़, पृष्ठ 100 (1) भविसयत्तकहा की भूमिका देखिए विशेष विवरण के लिए । ( 2 ) अपभ्रंश काव्य परम्परा और विद्यापति, डॉ० अम्बादत्त पंत, पृष्ठ 228 (3) अपभ्रंश साहित्य, पृष्ठ 102 26. 29. 30. 31. भविसयत्तकहा— 3.12.12 32. 33. ( 1 ) तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, डॉ० नेमीचन्द्र शास्त्री, ज्योतिषाचार्य, पृष्ठ 116 ( 2 ) अपभ्रंश प्रवेश, विपिन बिहारी त्रिवेदी, पृष्ठ 33 39 भविसयत्तकहा, पृष्ठ 39 अपभ्रंश भाषा और साहित्य, डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन, पृष्ठ 74

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