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जनविद्या
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- विशिष्ट का प्राश्रय सबको विशिष्टता देता है । - मलिन होते हुए भी निरुपद्रवी अधीनों को सब प्राश्रय देते हैं । - जीव एक दिन के लिए भी जहाँ रहता है उससे उसकी प्रीति हो जाती है ।
प्राश्रय के सामर्थ्य से मनुष्यों को सब कुछ मिलता है ।
- उत्तम सेवकों और मित्रों के सहयोग से इष्टसिद्धियां हो जाती हैं । . - संसार में समस्त इच्छाएं निःसार तथा दुःख का कारण हैं।
- अन्तरहित इच्छा को धिक्कार है । - सभी लोग मनोज्ञ विषय को ही चाहते हैं । - अभीष्ट पदार्थ की प्राप्ति पर सबको प्रानन्द होता है। - खेद है कि जीव यम के दांतों के बीच रहकर भी जीवित रहना चाहता है। - विजय के इच्छुक मनुष्य उपाय करते ही हैं।
- हाथी के योग्य घंटा कुत्ते को शोभा नहीं देता अर्थात् वस्तुएं यथास्थान ही सुशोभित होती हैं।
- अच्छी तरह उन्नत हुमा व्यक्ति सबका प्राश्रय होता है । - अपनी उत्तरोत्तर उन्नति से सब सन्तुष्ट होते हैं ।
- उदारचित्तवालों का कोप विनती (चरण-प्रतिपात) पर्यन्त ही रहता है।