Book Title: Jain Vidya 04
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 148
________________ 142 जैन विद्या 11. डॉ. रामगोपाल शर्मा 'विनेश'-जन्म 1929 । एम. ए., पीएच. डी., डी. लट्. । '120 पुस्तकों के रचयिता, सात रचनाएं पुरस्कृत । साहित्यिक पत्रिकाओं के सम्पादक एवं साहित्य-सेवारत । प्राचार्य एवं प्रध्यक्ष, हिन्दी विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर । इस अंक के निबन्ध "भविसयत्तकहा में युग और समाज के सन्दर्भ" के लेखक । सम्पर्क सूत्र-45/84 सुन्दरवास (नार्थ) उदयपुर-313001, राजस्थान । 12.. श्री श्रीयांश सिंघई-जन्म 1958 । प्राचार्य (जैनदर्शन), शोधस्नातक । कवि एवं लेखक । प्राध्यापक, भाषाविज्ञान, श्री दिगम्बर जैन प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय, जयपुर । इस अंक के निबन्ध 'भविसयत्तकहा का धार्मिक परिवेश' के लेखक । सम्पर्क सूत्र--श्री दिगम्बर जैन प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय, मणिहारों का रास्ता, जयपुर-302003 । 13. डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव-जन्म 1927 । एम. ए. (प्राकृत-जैनशास्त्र, संस्कृत, हिन्दी), प्राचार्य (पालि, जैनदर्शन, साहित्य, पुराण एवं प्रायुर्वेद), व्याकरणतीर्थ, ' साहित्यरत्न, साहित्यालंकार । अनेक शोधप्रबन्धों व पुस्तकों की रचना एवं सम्पादन । सेवानिवृत्त शोधउपनिदेशक एवं सम्पादक, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् एवं परिषद्-पत्रिका । इस अंक के निबन्ध 'अपभ्रंश का शिखर महाकाव्यभविसयत्तकहा' के लेखक । सम्पर्क सूत्र-पी. एन. सिन्हा कॉलोनी, भिखना पहाड़ी, पटना-800006, बिहार ।

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