Book Title: Jain Vidya 04
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 147
________________ जनविद्या . 141 5. . डॉ. गदाधर सिंह-एम. ए., पीएच. डी.। व्याख्याता, हिन्दी विभाग, ह. दा..:: जैन कॉलेज, पारा । इस अंक के निबन्ध 'भविसयत्तकहा का कथारूप' के लेखक । सम्पर्कसूत्र-हिन्दी विभाग, ह. दा. जैन कॉलेज, पारा, बिहार । डॉ. छोटेलाल शर्मा–जन्म 1927 । एम. ए., पीएच. डी., डी.लिट् । अनेक शोधलेखों व पुस्तकों के लेखक, सम्पादक । सौन्दर्यशास्त्र एवं भाषाशास्त्र के विशेषज्ञ । प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, वनस्थली विश्वविद्यालय । इस अंक के निबन्ध 'भविसयत्तकहा का भाव-बोध' के लेखक । सम्पर्क सूत्र-12, अरविन्द निवास, :: ' वनस्थली विश्वविद्यालय, वनस्थली, जि टोंक, राजस्थान । डॉ. जयकिशन प्रसाद खण्डेलवाल-जन्म 1932 । एम. ए. (संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं अर्थशास्त्र), एल. एल. बी., पीएच. डी. (हिन्दी), साहित्यरत्न, साहित्यालंकार । अनेक स्मारिकाओं व पत्र-पत्रिकामों के सम्पादक, विभिन्न विषयों की 400 से अधिक पुस्तकों के लेखक । अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, राजा बलवन्तसिंह कॉलेज, आगरा । इस अंक के निबन्ध 'महाकवि धनपालव्यक्तित्व एवं कर्तृत्व' के लेखक । सम्पर्क सूत्र-6/240, बेलनगंज आगरा-4 श्री नेमीचन्द पटोरिया-एम. ए., एल. एल. बी., साहित्यरत्न । अनेक बोधकथानों व पुस्तकों के लेखक-टीकाकार । अनेक पत्रों के भूतपूर्व सम्पादक । मानद शोधसहायक, जनविद्या संस्थान श्रीमहावीरजी । इस अंक के निबन्ध: "भेंट- भविसयसकहा के कवि धनपाल से' के लेखक । सम्पर्क सूत्र-जैन विद्या संस्थान श्रीमहावीरजी, 322220, राज. । श्री भंवरलाल पोल्याका-जन्म 1918 । साहित्यशास्त्री, जैनदर्शनाचार्य । लेखक-समालोचक । अनेक पुस्तकों, स्मारिकाओं व पत्रों के सम्पादक । पाण्डुलिपि सर्वेक्षक, जनविद्या संस्थान श्रीमहावीरजी। इस अंक के निबन्ध 1. "संस्थान में भविसयत्तकहा की पाण्डुलिपियों की प्रशस्तियां" के लेखक तथा 2. अपभ्रंश रचना 'समाधि' के अनुवादक । सम्पर्क सूत्र-566, जोशी भवन के सामने, मणिहारों का रास्ता, जयपुर-302003 । 10. डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण'-जन्म-1941 । एम. ए., पीएच. डी. साहित्यरत्न । अनेक शोधनिबन्धों व पुस्तकों के लेखक । महाकवि स्वयंभू द्वारा प्रणीत पउमचरिउ में समाज, संस्कृति एवं दर्शन की अभिव्यंजना विषय पर शोधरत । रीडर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, बी. एस. एम. कॉलेज, रुड़की। इस अंक के निबन्ध 'महाकवि धनपाल की काव्य प्रतिभा' के लेखक । सम्पर्क सूत्र-176, रेल्वे रोड रुड़की, उ. प्र.।

Loading...

Page Navigation
1 ... 145 146 147 148 149 150