Book Title: Jain Vidya 04
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 127
________________ जैनविद्या 121 - निश्चय ही उदार मनुष्य दयालु होते हैं । - पापी पर उपकार करना सांप को दूध पिलाना है । - बिना कारण (निःस्वार्थ) किये गये उपकार अवश्य ही फलदायी होते हैं । - उपकार करनेवाले मनुष्य मारने योग्य नहीं हो सकते । - परोपकारी पुरुषों की सम्पूर्ण क्रियाएं दूसरों की भलाई के लिए ही होती हैं । - परोपकार में स्वोपकार निहित है । . - परोपकारी के लिए दूसरों की सन्तुष्टि ही अपनी सन्तुष्टि है । - सब फलों में परोपकार ही मुख्य फल है ।

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