Book Title: Jain Vidya 04
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 128
________________ 122 3. सूचनाएं 1. पत्रिका सामान्यतः वर्ष में दो बार प्रकाशित होगी। 2. पत्रिका में शोध-खोज, अध्ययन-अनुसन्धान सम्बन्धी मौलिक अप्रकाशित रचनाओं को ही स्थान मिलेगा । 4. 5. 6. जैनविद्या ( शोध-पत्रिका) 7. जैन विद्या रचनाएं जिस रूप में प्राप्त होंगी उन्हें प्रायः उसी रूप में प्रकाशित किया जायगा । स्वभावतः तथ्यों की प्रामाणिकता आदि का उत्तरदायित्व रचनाकार का रहेगा । रचनाएं कागज के एक ओर कम से कम 3 सेमी. का हाशिया छोड़कर सुवाच्य अक्षरों में लिखी अथवा टाइप की हुई होनी चाहिए । अन्य अध्ययन अनुसंधान में रत संस्थानों की गतिविधियों का भी परिचय प्रकाशित किया जा सकेगा । समीक्षार्थं पुस्तकों की तीन-तीन प्रतियां श्राना आवश्यक है । रचनाएं भेजने एवं अन्य सब प्रकार के पत्र व्यवहार के लिए पता सम्पादक जैनविद्या जैन विद्या संस्थान श्रीमहावीरजी श्रीमहावीरजी (जिला सवाई माधोपुर) राजस्थान 322220

Loading...

Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150