Book Title: Jain Vidya 04
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ जैन विद्या 2. डॉक्टर अमृतलाल गोपाणी द्वारा 1949 ई में सिंघी जैन ग्रंथमाला में प्रकाशित । 3. नागपंचमीकहा, प्रकाशक उक्त 10.496-497 गाथा 4. हरिभद्र के प्राकृत कथा साहित्य का आ. प्र., वैशाली, 1965, पृष्ठ-74 5. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग - 6, डॉ. गुलाबचंद चौधरी, पार्श्वनाथ विद्याश्रम वाराणसी-1973, पृ. 366 6. प्राकृत साहित्य का इतिहास, डॉ. जगदीशचंद जैन, वाराणसी, 1961 पृष्ठ-440 7. वही, पृष्ठ - 440 8. जिनरत्नकोष, पूना, 1944, पृष्ठ 293 9. जैन साहित्य का वृ. इ., भाग-6, पृष्ठ - 366 10. जैन साहित्य और इतिहास, प्रेमी बम्बई, 1942, पृष्ठ - 469 49 11. वही, पृष्ठ 741 12. आमेर शास्त्र भण्डार के ग्रन्थों की सूची, प्र. सं., 138-147 13. तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, सागर, 1974, भाग-4, पृष्ठ 214 14. वही - पृष्ठ 112 ( तथा जैन साहित्य और इतिहास, प्रेमी, पृष्ठ 467-68 ) 15. वही, पृष्ठ 113-114 16. जै. सा. और इ., प्रेमी, पृष्ठ-467 17. अनेकान्त, वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली, वर्ष 8 किरण 12, पृष्ठ- 462 18. अपभ्रंश - साहित्य, भारतीय साहित्य मन्दिर, दिल्ली, पृष्ठ- 210 19 ती. म. और उ. प्र. प. भाग - 4, पृष्ठ - 137 20. पासरणाहचरिउ प्रशस्ति । 21-22. ती. म. और उ. प्रा. प., भाग-4, पृष्ठ 145-46 23. 'इय सिरि भविसयत्तचरिए विबुह सिरिसुकइ सिरिहर बिरएइ साहुणारायण-भज्जारूप्पर - गामां किए भविसयत्त - उप्पत्तिवण्णरणो णाम पढमो परिच्छेनो समत्तो ।।' 24. रघू साहित्य का प्रालोचनात्मक परिशीलन, वैशाली, 1972, पृ. 120 25. ती. म. और उ. प्र. प., भाग-4, पृष्ठ - 82-83 26. - देखिए लेखक का 'जैन संस्कृत नाटक और नाटककार' शीर्षक लेख, परिषद् पत्रिका (वि. रा. परिषद्, पटना) अप्रेल 1981, पृ. 32 ब - हिम्मत ग्रंथमाला, अंक 1 में पं. मफतलाल झवेरचन्द्र गांधी द्वारा सम्पादित, गुजराती अनुवाद, अहमदाबाद से प्रकाशित । 27. डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, प्राकृत साहित्य का इतिहास, पृष्ठ-441

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150