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अन्तस्तत्त्व
२. सर्वार्थसिद्धि में भाष्य का अनुकरण नहीं
३.
भाष्य में सर्वार्थसिद्धि का अनुकरण
४. सर्वार्थसिद्धिमान्य सूत्रपाठ का भाष्य में उल्लेख
५. सर्वार्थसिद्धि में भाष्य की चर्चा नहीं
६. सर्वार्थसिद्धि को भाष्योत्तरवर्ती सिद्ध करनेवाले हेतु असत्य — ६.१. तत्त्वार्थाधिगमभाष्य की शैली अर्वाचीन
६.२. तत्त्वार्थाधिगमभाष्य में अर्थविस्तार
६.३. अव्याख्या व्याख्याग्रन्थ की अविकसितता का लक्षण नहीं ६.४. दोनों की रचना सम्प्रदायभेद के बाद
७.
भाष्य का रचनाकाल छठी शती ई० का पूर्वार्ध ८. तत्त्वार्थसूत्र के कर्त्ता का नाम गृध्रपिच्छाचार्य तत्त्वार्थसूत्रकार का 'उमास्वाति' नाम संभव नहीं
तृतीय प्रकरण - 'तत्त्वार्थ' के सूत्र दिगम्बरमत के विरुद्ध नहीं
१. बारह स्वर्ग भी दिगम्बरमत में मान्य
२. 'कालश्चेत्येके' सूत्र मौलिक नहीं
३. पुलाकादि मुनि दिगम्बरमत- विरुद्ध नहीं ४. दिगम्बरग्रन्थों में भी केवली का दर्शनज्ञानयौगपद्य
चतुर्थ प्रकरण – तत्त्वार्थसूत्र की रचना के आधार दिगम्बरग्रन्थ
-
१. श्वेताम्बर - आगम तत्त्वार्थसूत्र की रचना के आधार नहीं
"
२. सूत्रों की दिगम्बरग्रन्थों से शब्द - अर्थ - रचनागत समानता ३. गुणस्थानाश्रित निरूपण के आधार दिगम्बरग्रन्थ
पञ्चम प्रकरण – तत्त्वार्थसूत्र के उत्तरभारतीय सचेलाचेल-निर्ग्रन्थ सम्प्रदाय का ग्रन्थ न होने के प्रमाण
१. तत्त्वार्थसूत्र के उक्त सम्प्रदाय का ग्रन्थ होने की मान्यता २. उमास्वाति को उक्त सम्प्रदाय का आचार्य मानने के हेतु निरसन
O
षष्ठ प्रकरण – तत्त्वार्थसूत्र का रचनाकाल द्वितीय शताब्दी ई० सप्तम प्रकरण – तत्त्वार्थसूत्र के यापनीयग्रन्थ न होने के प्रमाण O उपसंहार – तत्त्वार्थसूत्र दिगम्बरग्रन्थ : प्रमाण सूत्ररूप में
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