Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
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८
भवभयक्षतिकर्म विधायकान् भुभगुणाचरणोत्तमशिक्षकान् । शिवनिकेतनकेतनतुल्यकान् परिदधामि पवित्रतराक्षतान ॥ ६ ॥
ॐ ह्रीं श्री सद्गुरुपदपूजार्थं अक्षतान् यजामहे ॥ जैनेन्द्रशासनधुरन्धरपुङ्गवाय, ज्ञानात्मने विजितलौकिकभावनाय ।
श्रद्धालतान विनवारिधराय शुद्धं, नैवेद्यमुत्तममहं विनिवेदयामि
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ॐ ह्रीं श्रीं सद्गुरुपदपूजार्थ नैवेयं यजामहे - त्रैलोक्यतारकगुणाय वरप्रदाय, सर्वात्मना विहितजन्तुदयोदयाय ।
निर्वृत्तिधर्मपथदर्शक नाय काय,
सम्यक् फलानि शुभदानि निवेदयामि ||८||
कलश.
पूजाभिरष्टधा नित्यं, यो नरः पूजयिष्यति । गुरुपादाम्बुजद्वन्द्वं, तं शिवश्रीर्वरिष्यति ॥ १ ॥
ॐ ह्रीं श्री सद्गुरुपदपूजार्थं फलानि समर्पयामि स्वाहा. इति गुरुपद पूजा समाप्ता.
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