Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

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Page 72
________________ जबर जादू हतुं आपमारे; आपता बोध अपार. सूरिरान ! धन्य कर्यों अवतारनेरे० ॥५॥ कोमलता हती कान्तिमारे; कोमल वचन प्रकार. सरिराज ! धन्य को अवतारनेरे० ॥६॥ परम पावन पद पामीयारे; एमां न संशय रंच. मूरिराज; धन्य को अवतारनेरे० ॥७॥ साचा मान्या जगदीशनेरे, व्यर्थप्रमाण्यो प्रपंच. मूरिराज ! धन्य को अवतारनेरे० ॥८॥ अमने म्होटो हतो आशरोरे; तरवा संसारनां नीर. सूरिराज ! धन्य कर्यो अवतारनेरे. ॥९॥ उत्तर गुर्जर देशमारे, साबर सरितानो तीर. सूरिराज ! धन्य कर्यो अवतारनेरे० ॥१०॥ कूडिलो कलियुग आवीयोरे; धारणा करीए न धीर. सूरिराज ! धन्य को अवतारनेरे० ॥११॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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