Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
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अजितसागर मूरि उज्चररे; गुरुगम रम्य रुचिर. मूरिराज !
धन्य को अवतारनेरे० ॥१२॥
टेक.
॥2॥
श्री गुरुगुणगान.
राउपरनो. आंखडली अम आंसु भरीरे,
विरह कह्यो नव जाय, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे ! काया पावन कारी आपनीरे,
संभारी दील डोलाय, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. : वचन अमृत याद आवतारे,
पावन कर्म सदाय, गुरुदेव !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे. ! जननी ! भगत जन्म आपजेरे;
कां दाता कां शूर गुरुदेव, !
क्यारे दर्शन हवे आपशोरे.! नहींनर रहेजे वांझणीरे;
रखे गुमावती नूर, गुरुदेव ! __ क्यारे दर्शन हवे आपशोरे.
॥रा
॥४॥
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