Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

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Page 89
________________ आ अमरताना योगमां, मरता हवे दे नहि मरता मरी अमरत्वमा, त्यां अन्य कंइ प्रीच्छु नहिं. मम०॥१३॥ जाता नहिं जाता नहिं; जातां छतां जाशो नहिं; मूरि अजितनो आश्रम तजी, बीजे खुशी थाशो नहिं. मम० ॥१४॥ पद, तारुं मनडु मायामां मोही रहारे, ___ भर्यु अंतरमा अति अभिमान: एथी ईश्वरने त्हें नव ओलख्यारे. ए टेक. कदी परनुं भलं करतो नथीरे, देतो नथी गरीबोने दान: एथी० ॥१॥ जुटुं वोल्यामां दिवसो जायछेरे, म्हारा पापमां बंधाणा के प्राण. एथी० ॥२॥ नथी दीनता दया ल्हारा दीलमारे, ___ धन हरवामां धर्यु सदा ध्यान. एथी० ॥ ३ ॥ परनार जनेता समी जाणी नहीरे, गम्या घटमां कपट कंकास; एथी० ॥ ४ ॥ संत साधुने कदी नमतो नथीरे, खलखूटलना संग गम्या खास; एथी० ॥ ५ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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