Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
View full book text
________________
नने विचार विवेक घडी नव गम्योरे,
नथी प्रभुजीना नाम उपर प्यार; एथी० ॥६॥ संत साधुनी सेवना साधी नहीर,
शेठ लोकोनो मोटो सरदार; एथी० ॥ ७ ॥ माटे समजीने सिद्ध पंथ चालजेर,
प्रभु भजनमां थाजे हुंशोयार; एथी० ।। ८ ॥ अजितमूरिना व्हालाने भज भावथीरे,
त्हारा भवनो बेडो थाय पार. एथी० ॥९॥
गुरुस्मरणाष्टकम्
वसन्ततिलका. मच्चित्सुखास्पदमनन्यगुणानुहारी.
___ सौराष्ट्रराष्ट्र जनतापरिपुप्रहारी; निर्बानमोह भवभीतिरबापहारी,
सूरीशबुद्धिजलधिः स्वर्गोत्सुकोहा? l दीव्यात्मशक्तिमणिना हृदयावरूद,
गाढान्धकारमखिलं भवता निरस्तम् । विज्ञानवास ? कुमताध्वनिवारकस्त्वं,
रिक्ता त्वयाद्य वसुधाऽधिविराजते नो ॥२॥
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122