Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

View full book text
Previous | Next

Page 83
________________ ૭૨ श्री गुरुमहिमा. छन्द नाराच. अलक्षदेशमां गुरुजी लक्ष राखता, अपक्षपातमां सदैव पक्ष नाखता; अदक्षलोक अर्थ आप दक्षता हती, अमारी आ स्वीकारजो सदा नमस्कृति. अधर्य लोकने गुरुजी धैर्य आपता, अशौर्यलोकने गुरुजी शौर्य आपता; वडीलवर्गमां तमारी नम्रता हती, स्वीकारजो अमारी आ सदा नमस्कृति. तमारी ज्ञानीलोकमाही ज्ञानता हती, तमारी मानि छोकमांही मान्यता हती; जगत् हितार्थ कार्यथी तनू भरी हती, स्वीकारजो गुरु अमारी आ नमस्कृति. मुभक्तलोकमां तमारी भक्तता हती, विरक्तभावथी रुडी विरक्तता हती; अनंत केटिवार छे प्रणाम त्वत्पति, स्वीकारजो सदा अमारी आ नमस्कृति. ४ तमो विषे फकीरीनी अमीरी दर्शती, करुणभावनी तथा मुष्टि वर्षती; सदोज्ज्वलां हतां धृति कृति अने मति: अमारी आ स्वीकारजो सदा नमस्कृति. ५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122