Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
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मल्या शीर्ष बुद्धयब्धि श्रीयोगिराजा, अजिताब्धिना चित्तमांही विराज्या: कर्यों जन्म कृतकृत्यने मोक्ष दीधो, तथा म्हें व्यथा त्यागी तुज बोध लीधो. थयुं शुं? ९
ॐ-गुरुस्तुति छन्द नाराच अथवा गजल अंग्रेजो वाजानो. कुपात्र ने सुपात्र हेगुरो ? बनावता, सुपात्रना प्रति हमे सहर्ष आवता; गुणज्ञ लोकमां तमारी नामना हती, गुणो अतीव आपना कह्या जता नथी. स्मरी स्मरी ज्वलायमान अंग थाय छे, फरी फरी स्मरी स्मरूं अने स्मराय छे; अमोथी ना बने बन्युज जे तमो थकी, गुणो गुणज्ञ ! आपना कह्या जता नथी. दुःखो विलोकी दीननां दयालुता थती, सुखो विलोकी अन्यनां सुखार्द्रता थती; भविक मंडली थकी सुप्रार्थना थती, गुणानुवाद आपना कह्या जता नथी.
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