Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

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Page 27
________________ सद्गुरु केरु ध्यानज धरतां, फरी धरीये नही कायारे. गुरुना० ॥४॥ शांतिदाता गुरु बुद्धिसागरजी, भव्यपणे मन भाव्यारे; गुरुना० ॥५॥ उपदेश आप्यो ने कंकास काप्यो, समजाव्या श्रीजगरायारे. गुरुना० ॥६॥ गुजरात देशे विजापुर गामे, जन्मीने अंते समायारे; गुरु०॥७॥ प्रगटाची घटमांही ज्ञान खुमारी, अनुभव गुण उपजाव्यारे. गुरुना० ॥८॥ वास विजापुरमा रहीने, गुरुगुण मुजथी गवायारे. ___ गुरु० ॥९॥ अजितमूरि एवी अरज करे छे, करुणा करो गुरुरायारे. गुरुना० ॥२०॥ काठय. वसन्ततिलकावृत्तम्. त्रैलोक्यतारकगुणाय वरप्रदाय, सर्वात्मना विहितजन्तुदयोदयाय । निर्वृत्तिधर्मपथदर्शकनायकाय, सम्यक् फलानि शुभदानि निवेदयामि ॥१॥ ॐ ह्री श्री सद्गुरुपदपूजार्थ फलानि समर्पयामि स्वाहा. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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