Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

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Page 56
________________ माथा तणा तो मुकुट छो, हैया तणा शुभ हार छो; कामादि सैन्य विदार बा, शूरा तमो सरदार छो.-ॐ०॥४॥ पृथ्वी सलिल अग्नि पवन, आकाशमा त्हारी गतिः जन अधमने उद्धारवा, शक्ति इतर सारी नथी;-ॐ॥२॥ प्रेमस्वरूप तमो दिसो, वळी नेम स्वरूप तथा तमो; सौन्दर्यरूप तथा तमो, पूजक तमारां सहु अमो,-ॐ०॥६!! जलना तरंगो जाणुं के, गुणगान सुन्दर गाय छे; गुरुगुणतणा ए तानमां, मुज आत्म निर्वळ थाय छे-ॐ॥७॥ जगनां सुखो मागु नही, जगनां दुःखो त्यागुं नहीः त्याग्या अने माग्या तणी इच्छा हृदय राखुं नही,-ॐ॥८॥ केवल हृदयमां वांच्छना, परिपूर्ण गुरुकरुणा तणीः उद्धार करवो अजितनो, ए गर्जना सद्गुरुभणी.-ॐ॥१॥ ॐश्रीसद्गुरुविरह. ओधवजी संदेशो कहेजो श्यामने-ए राग. सद्गुरुनां चरण दर्शन ते फरीथी क्यां मले ? जेणे कही हती आत्म प्रदेशी वातजो, व्हाणुने व्हातारे गुरुजी सांभरे, जेणे जप्या जप जिनवरना दिनरातजो; सद्गुरु. ॥१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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