Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

View full book text
Previous | Next

Page 59
________________ ४८ सखी! शुक्रतणो दिन आज, सौने सारोरे; मुज गुरु बिरहीने खास, लाग्यो खारोरे. सखी ! शनिवासर छे भाव, करिया करवारे; पण गुरुविण मन अकलाय, भवजल तरवारे; म्हारी बातोना विश्राम, सद्गुरु देवारे. तजि चाल्या अमने स्वर्ग, करीए कोनी सेवारे; ॥८॥ गुरु ! अवगुण अम अगणित, करुणा करजोरे; मूरि अजित सागरना शिर, शुभकर धरजोरे. सखी ! सातवार जे कोइ, मेमे गाशेरे; गुरुकरुणाथी ते शिष्य, पावन थाशेरे. ॥६॥ 11911 ॥९॥ 112011 श्री गुरुगुणगान. क्षमा रमानाथने पूरण प्यारी - ए राग. गुरुकेरा सद्गुण केम गवाशे, केवल स्मरणथी सुख थाशे. टेक. धर्म अधर अधर्ममां धर्म, शी रीते जुक्ति जणाशे. त्याज्य अत्याज्यनी सुखभरी समजण, सद्गुरुथी समजाशे. गुरु० ॥१॥ सद्गुरु बुद्धि सागरनी सेवाथी, पापना ताप पलाशे; मोक्षना पंथे मोहादिक कादव, सद्गुरु विना कलाशे. गुरु०॥२॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122