Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
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विद्यापुर केरी भूमि छे सारीरे, जन्मभूमि ए भव्य तमारीरे;
त्यांनां तारों तमे नरनारी. रुडा० ॥७॥ साधुरूप साचवीयु छ साचुरे, जग सुखने जाण्यु हतुं काचुरे;
भाव भक्ति तमारी हुँ याचं. रुडा० ॥६॥ अजितसागरना मनमांही आवोरे, बुद्धिसागरजी दया लावोरे; कृपा वारि विमल वरसावो.
रुडा० ॥९॥
श्रीमद् सद्गुरुस्तुति.
राग उपरनो. बुद्धिसागर सद्गुरुनी बलीहारीरे,
जेने भक्ति प्रभु केरी प्यारी. बुद्धि० ए टेक. जैनधर्म तणी टेक धारीरे, यावत् जीवनना ब्रह्मचारीरे; सहु जीवो तणा उपकारी.
बुद्धि० ॥१॥ जेणे काम कंकासने काप्यारे, अवळा मार्ग सदैव उत्थाप्यारे;
दीव्य देशना संदेश आप्या. बुद्धि० ॥२॥ मुनिभावनी साचवी दीक्षारे, आपी शिष्योने शास्त्रनी शिक्षारे; ___ जेने भाव भजन केरी भिक्षा. बुद्धि० ॥३॥ शास्त्री लोकोतो स्नेहे संभारेरे, पंडित लोको तो प्रेमे पुकारेरे; ___ ध्यानी लोको सदा ध्यान धारे. बुद्धि० ॥४॥ प्रेमी जनने तो लागता प्रेमीरे, नेमी लोकोने लागता नेमीरे; ____ मति शास्त्र पारंगत जेनी. बुद्धिः ॥१॥
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