Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ ढाल-लाल डंका वाग्या तमारा देशमां. ए राग. अमने रुडो लाग्यो तमारो आशरोरे, सत्य धर्भ केरो पंथ कर्यों पांशरोरे. अ० ॥१॥ तमे साचा योगभ्यासी जोगीडारे; गुरु भगवानना भावकेरा भोगीडारे. अ० ॥२॥ जाणी जीवशिव केरी एकतारे, सदा साधुना समाजमांही शोभतारे; अ० ॥३॥ तमे अलख प्रदेशी आतमारे, जाण्या संत महंते महातमारे अ० ॥४॥ यम नियमने जाण्या तमे प्रेमथीरे, वाल्यां योगनां आसन घणा नेमवीरे; अ० ॥५॥ प्राणायाम तमे कर्या भले भावथीरे, पूरक कुंभक रेचक घणा ल्हावथीरे. अ०॥६॥ मानव देहना महात्मने अनुभव्युरे, मल्युं देहy रतनते खरं कयुरे; अ० ॥७॥ धयुं ध्यान प्रभु केरु दिन रातमारे, साधी समाधि वसीने एकांतमारे; अ० ॥८॥ हती वचन सिद्धि मुरू आपनेरे, पाल्यो पुरण ब्रह्मचर्य प्रतापनेरे. अ० ॥९॥ तमे वांझीआने बंधाव्यां पारणारे, शोभाव्यां बालकनी वस्तिथी बारमारे. अ० ॥१०॥ गुरु आंधलाने आंख्यो आपतारे, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122