Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
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४०
भावट भागी भवाटवीनी, गुरु गुण केम गणायजो. अनंत सुखनो सागर आत्मा, गुरु ज्ञानेथी जणाय;
__ अति० ॥६॥ परम कृपालु सद्गुरु राजा, बुद्धिसागर सरिराजजो. अजित सागर सद्गुरुने विनवे, सद्गुरु गरीब नवाज;
अति० ॥७॥
॥२॥
आवो आवो यशोदाना कंत-ए राग. आवो आवो तमे गुरुराज, मन्दिरे आवोरे. अमो दास तमारा सदाय, करुणा लावोरे; तमे सद्गुणना भंडार, अंतरजामीरे. थया पूरण कृतार्थ अनेक, शरणुं पामीरे; तमे शोभावी गुजरात, कीर्ति प्रसारीरे. आप चरणमा वार हजार, विनती अमारीरे; तमे शिखव्या समान स्वभाव, शीखवी समतारे; तमे मार्यों मोह महान, भारी ममतारे. तमे रुडा भज्या भगवान, संसार त्यागीरे; तमे सद्गुरु केरा शिष्य, अखंड अनुरागीरे. तमे सहज समाधि साधि, भल पण भरीयारे; प्रत्याहारने प्रणायाम, केरा तो दरीयारे.
॥३॥
॥४॥
॥५॥
॥६॥
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