Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
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१२
सफल जन्म म्हारो कर्योरे, समज्यो विरतिविवेक; होपाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय०
॥५॥ काल ज्वाला ठंडी करीरे, दीधो घट उल्लास; समजान्यो शुभ सानमारे, प्रभुजी हारीपास; होमाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय०
" ॥६॥ वारंवार प्रणामछेरे, सद्गुरु चरणसरोज; प्रेमपंथीना हृदयनीर, खरेखरी करीखोज; होपाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय० भव अटवीमां भटकतारे, हेते झाल्यो हाथ: अजितसागरना जन्मने, कर्यों अनाथ सनाथ होमाणी सद्गुरु० प्रेम० थाय०
॥८॥
॥७॥
काव्य.
सुरभिदेहगुणेन सुवासित-सकलभूवलयाय जितात्मने । पुरनरेन्द्रगपरदुतकर्मणे, मुगुरवे मुटुमानि यमामहे ॥१॥ ॐ ही श्री गुरुपदपूजार्थ पुष्पाणि यजामहे-स्वाहा
चतुर्थी धूपपूजा.
दुहा. चोथी पूजा धूपनी प्रगटावे गुरुप्रेम: दोष दबावे दीलतणा, राखे कुशल खेम; ॥१॥ गुरुचरणे शुभस्नेहथी, वारंवार प्रणाम; गुरु करुणाथी पामीए, शिवमन्दिर सुख धाम ॥२॥
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