Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah
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गुरुपद पूजा.
प्रणम्य सिद्धार्थसुतं वरेण्यं, तनामि पूजां गुरुसिद्धिसौधम् । श्रीसद्गुरूणामुपदेशखानी, भक्तिप्रभावोल्लसदात्मशक्तिः ।। सकलवृद्धिकराय महात्मने, निखिलकर्ममलक्षयकारिणे गुरुवराय वरिष्ठगुणात्मने, जलमहं विमलं परिकल्पये ॥१॥ ___ ॐ हौ श्री गुरुपदपूजार्थं जलं समर्पयामित्रिविधतापहराय शुभात्मने, जगति जन्मवतां सुखदायिने । कुमतिकदमवृन्दविशोषिणे, परिदधाम्यतिशीतलचन्दनम् ॥२॥
ॐ ही श्री गुरुपदपूजार्थं चन्दनं समर्पयामिसुरभिदह गुणेन सुवासित-सकलभूवळयाय जितात्मने । सुरनरेन्द्रगणस्तुतकणे, मुगुरवे कुसुमानि यजामहे ॥३॥ ॐ ह्री श्री सद्गुरुपदपूजार्थं पुष्पाणि यजामहेविषयवाजिवशीकरणौजसे, मदविषोद्धरणोत्तमशक्तये । मतिमतां हृदि निश्चितमूर्तये, गुरुवराय सुधूपमहं यजे ॥४॥ ॐ हाँ श्री सद्गुरुपदपूनाथ धूपं समर्पयामिभविकनिर्मलबोधविकासने, प्रथितकीर्तियशोविशदात्मने प्रहत्तकर्मचयाय तमोहरं, विशददीपमहं परिकल्पये ॥५॥
ॐ ह्रीश्री सद्गुरुपदपूजार्थं दीपं यजामहे ॥
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