Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

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Page 9
________________ करवामां आवे छे अने ते जिनमूर्ति तथा जिनपादुकानी माफक पूजवा योग्य छे, मूरिपदधारक जे मुनिए जे दिवसे देहोत्सर्ग को होय, ते दिवसे भक्तिभावथी गुरुपूजा भणाववी, स्नात्रिआओने मिष्टान्नथी जमाडवा,तेमज तेमने मोदक आदिनी प्रभावना करवी. पूजामां आवेला सर्व साधर्मिक बन्धुओनी प्रभावनापूर्वक भक्ति करवी, एटलंन नहीं पण शक्ति होय तो जमण पण करवू. पादुका अगर मूर्ति आगल उत्सव करवो. सांजना समये टोळी बेसाडी गुरुभक्तिनां स्तवनो तथा गायनो गावां. गुरुभक्ति निमित्ते साधु साध्वीनी विशेष सेवा भक्ति करवी. गुरुचरित्रनुं व्याख्यान सांभळवू. ते निमित्ते धार्मिक पुस्तको छपाववामां यथाशक्ति उद्योग करवो. गुरुनो महिमा क्वारवामां प्रमाद करवो नहि. गुरुश्रीना उपदेश प्रमाणे सदतन करवू. गुरु पादुका तथा गुरुमूर्तिनी सुगंधित पुष्पोथी पूजा करवी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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