Book Title: Gurupad Puja
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ अवलां शास्त्रो अवलां थाशे, जीवडा केरुं जोखम जाये; सुखना वायु वाशे हमेश, सुंदर देव स्मरी ल्योरे. सम०॥६॥ तृष्णा मनडुं तनथी त्यागे, अखंड वरना पद अनुरागे; जगमग ज्योति जागे बेश, निर्मल पथ विचरी ल्योरे. सम०॥७॥ आगम श्रवण कयाँ जेवारे, निश्चय कीधो प्रभुनो त्यारे मुरुवाणी उर धारे देव, नाम प्रभुनु उचरी ल्योरे. सम०॥८॥ बुद्धिसागर सद्गुरु राजा, धर्मग्रन्थ सांभलिया झाझा; अजित गरीब निवाजा आप, भवनं भातुं भरी ल्योरे.सम०॥९॥ काव्य. सुरभिदेहगुणेन सुवासित-सकलभूवलयाय जितात्मने । सुरनरेन्द्रगणस्तुतकर्मणे. सुगुरवे कुसुमानि यजामहे ॥१॥ ॐ ही श्री सद्गुरुपदपूजार्थं पुष्पाणि यजामहे स्वाहा देशविरतिग्रहणस्वरूपा चतुर्थी धूपपूजा. ॥४॥ दुहा. विश्वतणा भोगो विषे, रोग तणो भय छेज: उंचा कुलमां पतननो, तेमज भय वरतेज ॥१॥ धनिकने धनक्षय तणो, भय अतिशय वरताय: राजाने परसैन्यनो, भय भासेज सदाय ॥२॥ कायाने भय मरणनो, मायाने भय ज्ञान: अशांतिनो भय शान्ति छ, अमानिनो भय मान. ॥३॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122