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बड़े आकार की जितनी भी अन्य प्रतिमाएँ जहाँ भी हैं, वे या तो अनेक पाषाणखण्डों को जोड़कर बनाई गयी हैं, या फिर किसी बड़ी चट्टान में एक ओर ही उकेरी
हैं । इतिहास पर दृष्टि डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि श्रवणबेलगोल से बड़ा अतिशयवान तीर्थ, गोमटेश्वर से बड़ी मनोहर मूर्ति, नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती से अधिक प्रभावशाली गुरु, चामुण्डराय से बड़ा भक्त श्रावक और गोमटेश के
नाम मूर्तिकार से बड़ा भाग्यवान शिल्पी, कर्नाटक के सहस्र वर्षों के इतिहास में दूसरा कोई नहीं हुआ। आगे कोई होगा इसकी तो आशा करना ही व्यर्थ है क्योंकि -
अब तराशा ही नहीं जाता कोई पैकर' नया । आज भी पत्थर बहुत हैं, आज भी आजर' बहुत ॥
श्रवणबेलगोल की इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर, गोमटेश्वर बाहुबली की मूर्ति को प्रमुख आधार बनाकर, इस उपन्यास का ताना-बाना बुना गया है। बाहुबली का जीवन परिचय, केवल प्रसंगवश, मूर्तिकार को उनके व्यक्तित्व से परिचित कराने के लिए, पुराणकार चामुण्डराय के मुख से मैंने कहलाया है । इस प्रकार आख्यान की कथावस्तु प्रस्तुत करने में पुराण और इतिहास दोनों ही स्रोत सहायक हुए हैं, परन्तु इतिहास इसमें प्रमुख है, पुराण मात्र प्रासंगिक है ।
श्रवणबेलगोल के लगभग छह सौ शिलालेखों में बिखरी हुई, बाईस सौ वर्षों के इतिहास की सामग्री को संकलित /सम्पादित करके प्रकाश में लाने का कार्य मैसूर राज्य के पुरातत्त्व विभाग ने किया था। विभाग के निर्देशक श्री बी० लुइस राईस ने इसका प्रारम्भ किया और प्राक्तन - विमर्श - विचक्षण, राव बहादुर आर० नरसिंहाचारी ने वर्षों के परिश्रम से इसे पूरा किया । कन्नड़ लिपि में टंकोत्कीर्ण और अंग्रेजी में प्रकाशित, हमारे अतीत की उस अनमोल धरोहर को नागरी अक्षरों में प्रस्तुत करके हिन्दी पाठकों को उपलब्ध कराने का श्रेय डा० हीरालाल जैन को है । डा० जैन के प्रयत्नों में, प्रेरणा से लेकर प्रकाशन तक सर्वत्र, श्री नाथूराम प्रेमी का योगदान सादर स्मरणीय है। लाला राजकृष्णजी ने श्रवणबेलगोल पर एक परिचय पुस्तिका वीरसेवा मन्दिर, दिल्ली से प्रकाशित करायी थी।
पुराणों के ऋषभदेव, भरत और बाहुबली को आख्यान के मंच पर उपस्थित करते हुए, उसी परिप्रेक्ष्य में गोमटेश्वर मूर्ति की रचना का विवरण प्रस्तुत करने का एक सफल प्रयास श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन ने 'अन्तर्द्वन्दों के पार : गोमटेश्वर बाहुबली' में किया है । शिलालेखों के साहित्य की सरस कोमल भावनाओं को रूपायित करने का, इतिहास के नीरस तथ्यों को रोचक और ग्राह्य बनाने का यह प्रथम
१. पैकर = कलाकृति, २. आजर = उपकरण ।
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