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प्रथम ढाल
हों। पर बादर निगोदिया जीव पुद्गल आदि आधारका निमित्त पाकर निवास करते हैं। . ___ शंका-बादर निगोदिया जीव पुद्गल आदि आधारका निमित्त पाकर निवास करते हैं, इसका क्या अभिप्राय है, स्पष्ट कीजिए ? . . .
समाधान—किसी जीवके शरीर रूप परिणत हुए विशिष्ट पुद्गल और शरीराकार नहीं परिणत हुए सामान्य पुद्गल, इन दोनों प्रकारके पुद्गलोंके आश्रय या आधार पर बादर निगोदिया जीव रहते हैं। __ शंका तो क्या हर एक शरीरके आधार पर बादर निगोदिया जीव रहते हैं ? - समाधान नहीं, किन्तु पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक जीवोंका शरीर, अरहंत केवलोका शरीर आहारक ऋद्धिधारी मुनिका आहारक शरीर, देवोंका शरीर और नारकियोंका शरीर इन आठ जातिके शरीरोंको छोड़कर शेष समस्त जीवोंके शरीरोंके आधार बादर निगोदिया जीव रहते हैं।
शंका-शास्त्रोंमें नित्यनिगोद और इतरनिगोद ये दो नाम और सुने जाते हैं, सो इनका क्या अर्थ है ?
समाधान-जो जीव अनादिकालसे निगोद पर्यायको धारण किये हैं अर्थात् जिन्होंने आज तक निगोदके सिवाय