Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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तालिका अनुक्रमणिका
...९२२
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१. नागपुत्र ( पुराणों में) २. दोहक गण ३. मम्वन्तर पाठभेद ४. मरुत्गणों के स्थान ५. यक्षप्रश्न (एवं युधिष्ठिर के उत्तर) ६. भारतीय युद्धकालीन सेनागणनापद्धति ७. अष्ट रुद्र 6. एकादश रुद्र ९. अष्टवसुओं का परिवार ( भागवत में) १०. अष्टवसुओं का परिवार ( महाभारत एवं
___ पुराणों में) ११. विश्वामित्र की पत्नियाँ १२. विष्णु की उपासना
....३५६ | १३. चतुर्व्यह (विष्णु का एक अवतारसमूह) ...८८५ ...४५० १४. व्यास की वैदिक शिष्यपरंपरा ...९२१ -
१५. उपलब्ध वैदिक धर्मग्रंथ ...६२४ १६. महापुराणों की तालिका
...९२६ ००१७. सप्तद्वीपात्मक पृथ्वी
...१०९६ १८. जंबूद्वीप विभाग
...१०९६ ...७५९ १९. सूर्यवंश के उपविभाग
१३९ ...७५९ २०. सूर्य एवं सोम वंशों का विस्तार ...११४४ ...८११ २.. कश्यप ऋषि की मानवेतर संतति ...११५६ २२. पुराणों में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका ...११५७
११६५ ...८७४ २३. पौराणिक ऋषिवंशों की तालिका ...११६७-१.१६९ ...८८४ २४. पौराणिक युगों की तालिका . ...११७०
...८१२
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१९ अद्रि-(सू. इ.) विश्वगश्व का पुत्र । १९४ गोवासन (शैव्य)--युधिष्ठिर का श्वसुर । ३२ अरिष्टनेमि यादव--इसकी कन्या सगरपत्नी १९९ घर्घरस्वन-(मार्जारास्या देखिये)।
प्रभा (सुमति) (मत्स्य. १२.४२)। २०० घृताची--(कपिंजली)। ५१ असित-बाहु २०. देखिये
२१२ चित्रशिखंडिन् २. यह स्वायंभुव नामक ५२ आसतक्षणा-(मलय २. देखिये)।
आँठवें मन्वंतर का अधिपति.था। इससे ही आगे ८४ उद्दालकि २.-इसका पुत्र नचिकेतस् (म. चल कर समस्त सृष्टि एवं शास्त्रों का निर्माण हुआ। अनु. ७१)।
२३९ झषाक्ष--रथाक्ष देखिये। ८५ उपचिति-(केतुमाल देखिये)। २४२ तरसाहर--रथंतर देखिये। १०४ औपमन्यव-ऊर्जयत् का पैतृक नाम । २७६ दीर्घिका--(मार्कंडेय २. देखिये) ११३ कपिंजलि घृताची-(वसिष्ठ परिवार देखिये)।
२. कौशिक १४. देखिये १३३ कांपिजल्य--इंद्रप्रभति वसिष्ठ का नामांतर। २७९ दुर्दम ४.-(पद्म. उ. १७२) १३३ कापिल्य-(भम्यश्व देखिये)।
२९३ देवपन्न-(मांडव्य देखिये)। १३९ कालमार्ग--(कालभीति देखिये)
२९९ देवहोत्र--योगेश्वर २. देखिये। १५८ कृमिलाश्व--(भम्यश्व देखिये)।
३०६ द्रुपद के पुत्र-श्रुतंजय, बलानीक, जयानीक, १६० कृष्ण--अर्जुनद्वारा प्रणीत कृष्णचरित्रकथन जयाश्व, श्रुत, पृषध्र, चंद्रदेव (म. द्रो. १३१)।
महाभारत में प्राप्त है (म. व. १३, १०-३६) ३६७ ध्यजवती--यह पश्चिम में रहती थी। १७० कौसल्य-सुमनस् का पैतृक नाम ।
३५९ नाडायनी--इसे इंद्रसेना, नालायनी, एवं १७२ कोहल--श्रवणदत्त का पैतृक नाम ।
मुद्गलानी नामांतर भी प्राप्त थे। १८१ गंदिनी-इसकी कन्या वसुदेवा ।
३७१ निति घर्घरस्वन-मार्जारास्या का पुत्र १८६ गवेषण २.--वसुदेव एवं श्रद्धादेवी का पुत्र (आ. रा. सार. १३)। (मत्स्य ४६.१९)।
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