Book Title: Bhadrabahu Charitra
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Jain Bharti Bhavan Banaras

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ पक्ति ... १... अशुद्धि चन्द्रलमण्डल लुटाकर द्वितिया निन्तर इंघन भय चन्द्रमण्डल लटकर द्वितीया 1. १३... .. निरन्तर मान . . . भयसे नम दशी नम देशों गुरू ... पात्मामाने कहते हुआ रूपशामाग्य उज्यायनी ना संसगमुनि हाजानसे . . पापात्माओंने कहता हुना : रूपसीमाग्य । उमयिनी नाम असामुनि होनानेसे खड्ग भार आधारको होसकती। आर आहाकी होसती? खिये - 'त्रिय संयय '... 'संयम नहीं मानी सकती, नहीं मानी जा सकती परीग्रही . 'परिग्रही अन्तरण सम्यक्त्व मन्तरग सम्यक्त्व सम्बन्धी सम्बन्धि विरद गुरुपदेश . पुद्धिमानो विरुद २ रूपदेश बुदिमानों

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129