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समूटभाषानुवाद और यह भूपाल भूपति भी उसके साथ नानाप्रकारके भोगोंको भोगने लगा ॥ ३५-३९ ॥
किसी दिन रानीने सुअवसर पाकर स्वामीसे प्रार्थना की कि-प्राणप्रिय ! मेरे पिताजीके नगरमें मेरे गुरु हैं। उन्हें धर्म प्रभावनाके लिये आप भक्तिपूर्वक बुलाईये । राजाने रानीके बचन सुनकर उसी समय अपने बुद्धिसागर मन्त्रीको बुलाया और उन्हें सत्कार पूर्वक लाने के लिये उसे करहाटाक्ष पुर भेजा । मन्त्री मी उनके पास गया और अत्यन्त विनयपूर्वक नमस्कार कर तथा बार २ प्रार्थना कर उन्हें अपने पुरमें लिवा लाया। राजाने जब उनका आगमन सुनातो बहुत आनन्दित हुआ और बड़े भारी आनन्दपूर्वक उनकी वन्दना करने के लिये चला । परन्तु दूरसे ही जब उन्हें देखें तो आचर्य युक्त हो विचारने लगा- अहो ! निम्रन्यता रहित यह दण्ड पात्रादि सहित सामान्सनराजापु गुम्या पुस्पपिपात मामा figurasi lars. मतिमदासमयसमा महतो ETAEET पुरुषAPE पुरे | | बानादयन मान्ममा रमपमानित feree कागदाहलामासमश्या 14 मारनामस! भासालामा गुरु मन्या प्रमाण मान मिनमानयर । नियामनं गला इमाम सापना गुस्न । इगदान गमगारा rat निन्दनानि नारनं मम्मान पुन हसाला