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अनुक्रमणिका।
HomaadammarAmermanand
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२७४
२७५
विषय. पृष्टाक. | विषय.
पृष्टांक. उक्तविधि सेवन का काल
जीवन के दश स्थान द्वितीयोऽध्यायः । शरीर में जालादि की संख्या गर्भिणी के पुष्पर्शन में कर्तव्य २७०
अस्थियों की संख्या
२८३
धन्वंतरि और आत्रेय का मत स्त्रीकी स्नान विधि
२८४
२८५ तीनमहीनेके भीतर पुष्पदर्शन में कर्तव्य२७१स्नायु और पेशी की संख्या मर्भपात के पीछे के कर्तव्य
सिराभों का संख्या
२८६
| शास्वागतअवध्यसिराभों का वर्णन २८७ सुसाविष्टकगर्भ के लक्षण नागोदरगर्भ के लक्षण .
कोष्टगत अवेध्यसिराओं का वर्णन २८८
जत्रुसे ऊपर की सिराओं का वर्णन , उक्तगर्मों में उपचार. . लीनगर्भो की चिकित्सा
ग्रीवा की अवध्यसिरा विपरीत आचरण का फल २७३
हनुगत अवध्य सिरा
जिहा गत अवेध्य सिरा उदावर्त का उपाय
नासागत अबेध्य सिरा उदर में मृतगर्भ के लक्षण
नेत्रगत अवेध्य सिरा मृतगर्भा का उपचार
ललाट गत भवेध्य सिरा शस्त्रद्वारा मूढगर्भ का उपाय
कान की अवेध्य सिरा गर्भकी छेदन की विधि
मूर्दागत अवेध्य सिरा मूढ गर्भ की सामान्य चिकित्सा
प्रवेध्यसिराओं की संक्षिप्त वर्णन जीवित गर्भके छेदन का निषेध सिराओं से रक्तादि का वहना उपेक्षा के योग्य मूढ गर्भा
वातादि जुष्ठसिराओं का लक्षण सान के पीछे चूर्णादि का प्रयोग।
शुद्ध रक्तके लक्षण मूढगर्भा का कर्तव्य
नाभि संबंध सिराओं का वर्णन बला तेल
दृष्य अदृश्य श्रोतों का निरूपण १९१ गर्भरक्षा के सात योग
सोतों की भाकृति अष्टमादि मास में गर्भरक्षा
आहारादि से स्रोतों का दूषित होना गर्भ विषय में अशानों का मत ___, स्रोतों की दुष्टिका लक्षण
२९२ तृतीयोऽध्यायः।
स्रोतों के द्वार अंमों के भाग
स्त्रोतोंव्यधक अवगुण पंच महा भूतो के गुण
धन्वंतरि और अभेय का मत महा भूतो के देह के उत्पत्ति
ग्रहणी का वर्णन देहमें मातृज पितृज भाग २७९ पक्व अन्न के गुण
२९३ सातम्यज निरूपण
ग्रहणी और अग्नि का अयोन्य संबंध , रसज निरूपण
अग्निद्वारा अन्नपान रक्तसे सात त्वचामों की उत्पत्ति २८० शरीर में पाक का प्रकार कलाओं का वर्णन
अग्निसमीपस्थ अन्न की अवस्था. २९४ आशयों का वर्णन
२८१ / अन्य अग्नियों के कर्म
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