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अनुसन्धान-७२
मङ्गल कर्यु छे । श्लो. ८मां कविए शत्रुञ्जयतीर्थना अधिष्ठायक श्रीकपर्दीयक्षने श्रीसङ्गनी (जगतनी) रक्षा करवानी प्रार्थना करी छे । साथे कविए पोतानुं नाम पण गुम्फित करी दीधुं छे.
___त्यारबाद श्लो. ९थी ६९ना विशाळ काव्यखण्डमां कविए चौलुक्यवंशना राजाओगें वर्णन कर्यु छे । तेमां श्लो. ४६मां मुरजबन्ध-चित्रकाव्यनो प्रयोग जोवा मळे छे । अने श्लो. ४७मां पद्यरचना ए रीते करी छे के ते काव्यनां चारे चरणना प्रथम ४ शब्दो आडा के ऊभा, गत-प्रत्यागत क्रमे वांचो तो ते ज श्लोक उकेलाय । कविनी असामान्य काव्यप्रतिभानां दर्शन आ पद्यमां थाय छे
र ता म रा
ता र हा स
म हा सि का
रा स का न ।
श्लो. ७० थी ९१म्मं कविए वाघेला वंशना राजाओनी शूरवीरतार्नु अने कीर्तिनुं वर्णन कर्यु छे । उपरोक्त बन्ने काव्यखण्डो खूब रसाळ अने प्रौढशैलीमां रचायेला छे ।
श्लो. १२ थी १०३मां कविए वस्तुपाल-तेजपालना वंशनो परिचय आप्यो छे । पण आश्चर्यनी वात ए छे के आ पद्योमा क्यांय वस्तुपालना पिता 'आसराज(अश्वराज)'ना नामोल्लेखवाळु पद्य प्राप्त नथी । सम्भवतः ए पद्य मूलप्रतनी प्रतिलिपि करती वखते के प्रशस्ति-शिलालेखना उतारा वखते लखतां छूटी गयुं जणाय छे। बीजी नोंधनीय वात ए पण छे के प्रस्तुत कृतिमां कुमारदेवीने ३ पुत्र (मल्लदेव-वस्तुपाल-तेजपाल नामथी) होवार्नु जणाव्युं छे ज्यारे आ ज कर्तानी अन्य कृति 'रैवताचलप्रशस्ति' (अधि. २ श्लो. १३१४-१५)मां 'लूणिक' साथे चार पुत्र कह्या छे, जे सौथी ज्येष्ठ छे । आ ज कर्ताए 'वसन्तविलासमहाकाव्य'मां पण वस्तुपाल आदि ३ पुत्रो ज कह्या छ। ओक ज कर्तानी कृतिओमां आवो हकीकतभेद केम थयो हशे ?