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जून - २०१७
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पोला खाय.
सदल सकोमल सीसहर, लंका धणी न होय, म्हांकै आयो पाहुणो, थांके छै सो ढोय... [सीरख, चादर] बाप न दीन्ही दाइजै, सासू न दीनी खंति, मोडी आइ बापडी, दोइ लै सूतो कंति... [सीरख, चादर] नैंन अढार जीव तीन, च्यार भुजा षट् पाय, दिन प्रति समर्यां थका, सदा रहै सुहाय.. [?] बाप ज बेटै इको नाम, बेटो फिरे ज गामोगाम, बेटा रै इक बेटी जाइ, सो फिर हुइ बापडी माइ... [आंबा-केरी-गुटली] कागळनि परें कड कड, मद (?) जिम झोला खाय, राजा पूछे पंडीतो, ए कुण जनावर जाय... [वीजळी] आशपाशथी आइ है, लोक के मन भावि है, देखि है पण चखी नहीं है, राम दुहाइ खाइ है.,. [गामनी खाइ] एक नारि ते जगमां जाणी, पुंछडा हेठे पिइ पाणी, पीती पीती निची जायइ, ठाकठोक पाडोसण खाय... [घटीका यन्त्र] महीपुत्रथी उपनी, तेहना राता दांत, ते नारी नर बांधीयो, जोवा गइ थी कंथ... [इंटबंध कूवो] उत्तम कुलथी उपनी, विशेष वीसमी डाल, लखमीसुं लीला करे, तेहनां नाम सो-हजार. [लाख] हरीयाली ते हल परमाणो, जाणे सघलो लोक, केडमां झाली कूटीइं, तो पइशा आवे रोक... [पीजण] हरीयाली तो तेने कीजे, जेने हीये होइ ज्ञान, एक पंखी में एहवं दीर्छ, जेने पूंछडे च्यार कान... [तीर] नारीथी नर उपनो, नरा उपनी नारी, उ नारी नर मारसी, सुरता कहौ विचारी... [कबाण] एक पुरुष कहै असंभव वात, विण पग चालै दिन राति, अंधारै अजवालो करे, एक वरस में निश्चें मरै... [टीपणो] सूक्कौ लकड हे सखी, मैं फल लागो दिह, चाखै तो जीवे नही, जो जीवे तो निह... [बरछी]