Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 122
________________ ढूंक नोंध : अेक भ्रष्ट पाठे सर्जेली समस्या - मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय महोपाध्याय श्रीयशोविजयजी रचित न्यायालोक प्रकरण पर परमगुरु श्रीविजयनेमिसूरिजी महाराजे वृत्ति रची हती. तेनां घणां वर्षों बाद आ प्रकरण पर 'भानुमती' नामनी वृत्ति रचाई. आ वृत्तिमां केटलेक ठेकाणे पूर्ववृत्तिगत प्ररूपणाओनुं खण्डन करवामां आव्युं छे. ते खण्डनना वाजबीपणा विषे अवसरे विमर्श करवायोग्य छे. पण आ लखाणमां तो एक ज खण्डनस्थळ पर चर्चाने सीमित राखी छे. आ चर्चा न्यायदर्शन अन्तर्गत आवता समवायसम्बन्धनी सिद्धिने सम्बन्धित छे अने नव्यन्यायनी परिभाषामां गूंथायेली छे. घटनो नाश थाय एटले घटगत रूपादिमो पण नाश थाय ज ए देखीतं छे. मतलब के घटगत रूपादिना नाशमां घटनाश ओ कारणभूत बने छे. आ कार्यकारणभाव नव्यन्यायनी परिभाषामां आम बोलाशे - "प्रतियोगितया घटादिसमवेतनाशं प्रति स्वप्रतियोगिसमवेतत्वसम्बन्धेन घटादिनाशस्य हेतुत्वम्।" आनो भाव आम छे - न्यायमते कार्यकारणभाव ओक अधिकरणमां रहेनारा पदार्थो वच्चे ज सम्भवित छे. कार्यभूत घटरूपादिनाश ओ प्रतियोगिता सम्बन्धथी घटरूपादिमां रहे छे. (केम के जेनो नाश थाय ते प्रतियोगी कहेवाय अने नाश प्रतियोगिता नामना सम्बन्धथी तेमां रहे. जेम के पट अ पटनाशनो प्रतियोगी छे अने पटनाश प्रतियोगितासम्बन्धथी पटमां रहे छे.) अने ओ घटरूपादिरूप अधिकरणमां कारणरूप घटनाश पण स्वप्रतियोगिसमवेतत्वसम्बन्धथी रहे छे. स्व = घटनाश. तेनो प्रतियोगी = घट. तेमां समवेत = समवायसम्बन्धथी रहेनार घटरूपादि. आम कारणरूप घटनाश अने कार्यभूत घटरूपादिनाशबन्ने समानाधिकरण (घटरूपादिरूप एक ज अधिकरणमा रहेनारा) बन्या. अने एटले 'प्रतियोगितासम्बन्धथी घटरूपादिना नाश प्रत्ये स्वप्रतियोगिसमवेतत्वसम्बन्धथी घटनाश कारण छे.' अवो कार्यकारणभाव स्थिर थयो. पण, आ कार्यकारणभावमां ओक आपत्ति आवी शके छे. घटना रूपादि तो घटनी विद्यमानतामां पण बदलाई शके छे. आमां जूना रूपादिनो

Loading...

Page Navigation
1 ... 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142