Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
जून - २०१७
१२५
वेपारीओ विनिमय द्वारा आजे पण व्यापार करे छे. बालक पूर्णचन्द्र विकट परिस्थितिमां पिताने आ रीते मदद करता हता - ए वात कविए नोंधी छे. ए विस्तारमा ते समये द्राक्ष ऊगती हती ए पण सूचित थाय छे. श्लो. ६८मां 'वंशपात्र' शब्द छे. आनो अर्थ टोपली, करंडियो के सूपडं होई शके.
कृतिनी वाचना परिश्रमपूर्वक तैयार थई छे. क्यांक अस्पष्टता रहे छे. संशोध्य स्थान पण छे : श्लो.
संभवित पाठ १ १५ चरितं
चरित्रं धनेन्दु०
घनेन्दु० ६५ []
[कास] व्यभूषता
व्यभूष्यता °ङ्गवयवा
'ङ्गावयवा नृपति०
नृपति कुतकं
कुतुकं १०१
धाटी 'खि(लाग्नि)शिखा [च्छि]खिशिखा स्त्राणां
स्त्राणं रूमि०
०रूर्मी० परिषहांश्च
परीषहांश्च किमिच्छं (त्थं) क्यारेक लहियाओ च्छ अने त्थ सरखा लखता
हता. अहीं त्थ ज वांचवो जोईए । १०३ स्वसुरस्य
श्वसुरस्य प्रवी(की)र्णविष० ... प्रकीर्णा विष०
प्रकीर्णनो एक अर्थ 'विशाल' थाय छे. २४१ न धे(हि)
०ऽनघे
घाटी
१०२
१०६
१
१३०
१७८

Page Navigation
1 ... 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142