Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 135
________________ १२८ अनुसन्धान-७२ मोटा भागे ढांकीसाहेबना निकट क्षेत्रवर्ती अने सीधा परिचयमां आवेली व्यक्तिओना हृदयोद्गाररूपे लखाया छे. अवंतिकाबेने ढांकीसाहेबनो साक्षात्कार करी लखेलो लेख पूर्वप्रकाशित छे, पण अहीं ते योग्य रीते ज प्रथम क्रमे मकवामां आव्यो छे. आ लेख ढांकीसाहेबनो अन्तरङ्ग परिचय आपे छे. ढांकीसाहेबना जीवन । अनुभव । कार्यकलाप विषयक वातो लेखिकाए तेमनी पासेथी सुपेरे कढावी छे. लेखिकाना उद्गार : "रूंवे रूंवे सौन्दर्य अने कलाना मर्मी मधुसूदनभाईनुं हैयुं साधुनुं छे, जेथी ज तेमनां वाणी-वर्तन अने विचारमाथी आटलो आन्तरवैभव छलकाय छे" - साव साचुं छे. स्मृतिलेखोमां ढांकीसाहेबनां मनोमुग्धकर शब्दचित्रो आलेखायां छे. लेखकोनां मन पर ढांकीसाहेबनी अंकित थयेल छबीनी केटलीक रेखाओ तारववानुं मन थाय छे : खरच्यु आलुं आयऱ्या विधविध विद्या माट, - सघन संशोधन कर्यु, माथा साटोसाट. • - राजेश पंड्या ... तेमनी निखालसता जोई अमे दिङ्मूढ थई गया! तेमणे का : "महाराजश्री, मारी वाचना करतां तमारी वाचना वधु सुन्दर छे. तमे ते रीते तेनुं प्रकाशन करो". विद्वत्तानी साथे आवी नम्रता प्रायः घणी ओछी व्यक्तिओमां जोवा मळे. - गणि सुयशचन्द्रविजय - मुनि सुजसचन्द्रविजय कोई व्यक्ति पोताना मर्यादित जीवनकालमां केटलुं काम करी शके, केटली विद्यामां पारंगत थई शके एनुं उदाहरण मधुसूदन ढांकी छे. - राजुल दवे ढांकीसाहेबना संगीतविवेचक-संशोधक तरीकेनुं नोंधपात्र लक्षण निर्भीक, निर्धान्त, मुक्त एवा अभिप्राय छे. - हसु याज्ञिक

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