Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जून - २०१७
१२९ ... जैनाचार्योनो समय निर्धारित करवानुं महत्त्वपूर्ण काम कर्यु. जैनबौद्ध आगमो, संगीतशास्त्र, होर्टीकल्चर, पशु-पंखीना अवाजो, रत्नविद्या, कलाओ आदि विषयोमां तेओ सिद्धहस्त लेखक हता.
- जितेन्द्र बी. शाह मने स्पर्शी गई छे तेमनी निखालसता, सरळता, नम्रता, सादगी... तेमनुं अकिंचनपणुं... विद्या अने अध्यात्म बन्नेनो सुयोग...
- रमजान हसणिया .....बहुचर्चित अने संवेदनशील विषय परत्वे 'जनोईवढ घा' करवा माटे महारथीनी शक्ति अपेक्षित होय छे. ढांकीसाहेब आवा महारथी हता.
- छेलभाई व्यास विविध विद्याशाखाना तज्ज्ञ होवू एटले, शुं? ते आजे (पारकी) सूंठने गांगडे गांधी गणावनारना समयमां समजवं मुश्कल लागे. एवां परिबळो वच्चे मधुसूदन ढांकीसाहेबनी प्रतिभा विशेष महत्त्वनी छे.
- डो. मनोज रावल तमे थोडीक वार बेसो एथी एमने धरव न थाय. एमनो अनुभव भण्डार खूटे एवो न हतो ने विनोदवृत्ति सतेज.
- रमण सोनी शास्त्रोक्त छणावट करवानुं कदाच तेमना 'जीन्स'मां हतुं. आवी 'ज्ञानामृतकुम्भ' (व्यक्ति)नी चिरविदाय वसमी लागे ए स्वाभाविक छे. ज्ञान साथे निखालसता घणी जूज व्यक्तिमा जोवा मळे.
- डो. रेणुका पोरवाल गुजरातना पुरातत्त्वविद्, स्थापत्यशास्त्री, इतिहासविद्, संगीतज्ञ, वृक्षपशु-पक्षीप्रेमी, भारतीय संस्कृति तथा जैनधर्मना शास्त्रोना अठंग अभ्यासी, पद्मविभूषणनी पदवी, कुमारचन्द्रक अने कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्यचन्द्रक जेवां अनेक सन्मानो जेमने प्राप्त थयेलां एवा आन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त बहुश्रुत विद्वान श्रीमधुसूदन ढांकी....
- डो. निरंजन राज्यगुरु

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