Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 139
________________ माहिती : डॉ. सागरमल जैनने हेमचन्द्राचार्य-चन्द्रक' डॉ. सागरमल जैन आपणा एक प्रखर दार्शनिक विद्वान छे. भारतीय दर्शनशास्त्रो अने तत्त्वज्ञानना विषयमां तेओ आरूढ विद्वज्जनलेखे प्रख्यात छे. प्राचीन आगमो विषे तेमनां संशोधनोने विद्याजगत्मां व्यापक स्वीकृति सांपडी छे. जैन-बौद्ध-वैदिक दर्शनो विषे तेमणे करेल तुलनात्मक अध्ययनना ग्रन्थो अभ्यासुओ माटे मानदण्ड समान छे. तेमणे ५७ जेटला ग्रन्थोनुं अने सेंकडो शोधलेखोनुं सर्जन कर्यु छे. सम्पादित ग्रन्थोनो आंक तो तेथीये घणो मोटो छे. तेमना मार्गदर्शन हेठळ विविध विषयो पर Ph.D. करनारा विद्यार्थीओनी संख्या बहु मोटी छे, एमां अनेक जैन साधु-साध्वीओनो पण समावेश थाय छे. ८५ वर्षे पण तेमनुं अध्ययन-अध्यापन अविरत चालु छे. बनारसना पार्श्वनाथ विद्याश्रम संस्थानना निर्देशक पदे रहीने 'श्रमण' जेवी एकाधिक शोध-पत्रिकाओनुं सम्पादन संभाळनारा डॉ. जैन वर्तमानमां पोताना वतन शाजापुरमा 'प्राच्यविद्या शोधपीठ' नामक संस्था चलावे छे, अने त्यां हजारो ग्रन्थोना ग्रन्थालय तथा शोधकेन्द्रनुं संचालन करवा द्वारा विद्याकीय विविध प्रवृत्तिओ करतां रहे छे. आवा मूर्धन्य विद्वानने 'श्रीहेमचन्द्राचार्य-चन्द्रक' प्रदान करवानो एक समारोह ता. २८-२-२०१७ना रोज अमदावादमां शेठ हठीसिंहनी बहारनी वाडीमां भव्य रीते योजाई गयो. कलिकालसर्वजनी नवमी जन्मशताब्दीना वर्षे (वि.सं. २०४५), तेजोमूर्ति आचार्य श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजीनी भावना तथा प्रेरणाथी रचायेल श्रीहेमचन्द्राचार्य ट्रस्टना उपक्रमे योजाएल आ समारोह, पूज्य आचार्य श्रीविजयहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. तथा आ. श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी आदिनी पावन निश्रामां संपन्न थयो हतो. श्रीअमित ठक्कर अने दीप्तिबेन देसाई द्वारा गवायेल मङ्गल प्रार्थना, श्रीनलिनीबेन देसाईनुं समतोल संचालन, महाराजश्रीनां अने उपरांत डॉ. कान्ति

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