Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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विहंगावलोकन-अङ्क ७०
- उपा. भुवनचन्द्र
अनुसन्धान-७०ना प्रारम्भे प्रकाशित पांच स्तोत्र लघु छे पण भावसभर छे. 'भगवते ऋषभाय नमो नमः' आ पंक्ति आजे पण प्रचलित छे, तेनुं मूलस्थान अहीं प्रकाशित आदिनाथस्तोत्रमा छे. 'अद्य मे...'थी शरु थतो श्लोक आमां छे तेना जेवा अन्य श्लोको बीजे जोवा मळे छे. आ प्रकारनी रचनाओ लोकप्रिय बने छे अने तेनी अनु-रचनाओ थवा मांडे छे, पछी कई मूल रचना अने कई अनुरचना - ए कहेवं मुश्केल बनी रहे । जो के ए मूल कृतिनी लोकप्रियतानुं अने भावगर्भ कृति होवानुं प्रमाण बनी रहे।
पार्श्वनाथ स्तोत्रमा ३जा श्लोकमां 'विवेकाक्षम्' छे त्यां 'विवेकाख्यम्' होय तो वधु बंध बेसे । अन्ते कलशना श्लोकमां "जिनपतिपादाः' पाठ सम्भवित छे.
यमकबन्धयुक्त जिनस्तव ए जैन स्तोत्रसाहित्यमां एक सशक्त कृतिना उमेरारूप छे. शब्दनी चमत्कृतिथी समृद्ध रचना छे. आवी कृतिने समजवा माटे सम्पादक पासे संस्कृतनो गाढ अनुभव होवो जोईए. पंचपाठी-सूक्ष्माक्षरी प्रत परथी सम्पादन करवू ए पण एक पडकार होय छे. प्रस्तुत कृतिनुं सम्पादन खूब सुन्दर थयुं छे.
__ 'वस्तुपालादिप्रशस्तिसंग्रह' एटले आ अङ्कनुं अमूल्य नजराणुं. वस्तुपालतेजपालना सुकृतोनो प्रमाणित आलेख आमां सचवायो छे. कविए सूचिने सूचि न रहेवा देतां काव्यनी कक्षाए पहोंचाडी छे. नाम-ठाम साथेना वृत्तान्त आ बन्ने वीरनायकोनी जीवनीमां अद्भुततानो रंग पूरे छे. बीजा भागमां कुमारपालना दण्डनायक राणिग तथा तेना पूर्वजो अने सन्तानोए करेलां धर्मकार्योनी सूचि आ महानुभावोना धर्मानुराग अने सामर्थ्यनी मनोहर छबी रजू करे छे.
इतिहासकारो माटे आवी सामग्री किंमती दस्तावेज समान गणाय. अनु.ना सम्पादक आचार्यश्रीए आ कृतिनी विगतो, सारग्राही अवतरण-अवलोकन करी आप्युं छे अने इतिहासना सन्दर्भो तारवी आप्या छे.
अनुसन्धान जेवा संशोधनपत्रोमां आवी मूल्यवान दस्तावेजी सामग्री प्रगट

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