Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 95
________________ श्रीमानसागर-विरचित आषाढाभूति सतढालियो - सं. प्रा. अनिला दलाल कवि मानसागर ओ तपागच्छना गुजराती जैन साधु-कवि छे. तपगच्छपति श्रीविजयप्रभसूरि → विजयरत्नसूरि → श्रीजयसागर → श्रीजीतसागर → मानसागर - आ तेमनी गुरुपरम्परा, आ कृतिनी छेल्ली ढाळनी अन्तिम बे कडीओना आधारे जाणी शकाय छे. __मध्यकालीन गुजराती साहित्य कोश-१मां उपलब्ध नोंध प्रमाणे आ कवि विक्रमसेन चोपाई (ई. १६६८), सुरपति चोपाई (१६७३), सात ढाळनी प्रस्तुत रचना तथा अषाढभूति चोपाई रास (ई. १६७४, १६८०), आर्द्रकुमार ऋषि सझाय (१६७५), कान्हड कठियारा चोपाई-रास (१६९२), सिंहलकुमार चोपाई (१६९२), सुभद्रासती चोढाळियुं (१७०३) इत्यादि अनेक कृतिओ रची छे. तेमनो सत्ताकाळ सत्तरमी सदीनो उत्तरार्ध छे. अषाढाभूति नामक साधुपुरुषने केन्द्रमा राखीने कवि बे रचनाओ रची छे. १. अषाढाभूति सतढाळियो. २. अषाढभूति चौपाई. बन्ने कृतिओ महदंशे समान जणाय छे. थोडा थोडा परिवर्तनने बाद करतां लगभग एक ज रचना होय तेम लागे छे. प्रस्तुत सम्पादनमां 'सतढाळियो'ने मुख्य राखीने वाचना तैयार करेल छे. तेनी प्रति सं. १८९५मां लखाई होवानुं पुष्पिकाथी जणाय छे. अषाढभूति चोपाइना पाठभेदो तेम ज केटलाक शब्दोना अर्थ टिप्पणीमां आपेल छे. चोपाइने प्रतिमां 'चोंपी' तरीके लखेल छे. आ बन्ने कृतिनी हस्तप्रतो कोबाना श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिरना ग्रन्थसङ्ग्रहमांथी प्राप्त थई छे. 'सतढाळियो'नी प्रत क्रमांक ३९६६१, तथा चोपाई (चोंपी) प्रतक्रमाङ्क १६९४२ - ए क्रमे त्यांना संग्रहमां बे प्रतो नोंधायेली छे. बन्ने प्रतिओनी झेरोक्ष नकल आपवा माटे ते ज्ञानमन्दिरना कार्यवाहकोनो आभार मानुं छु.

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