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अनुसन्धान-७२
कहा तंदुल कुणं होत ? कहा सयण हरक्खे ?
आद अरू अंत परहर अखर, ध्यान चरण मझ ध्यावला,
किचलाल कहे मंगलकरण जयो पास जीरावला । (श्रीजीरावलाजी) (१. जीव २. राव ३. राजीव (पद्मासन) ४. ? ५. रावला ६. वजीरा, ७. जीरा (?) ८. वला)
सीतापति-अरि तास रिपु, उणे पाल्यो छे सोय,
देव मनुष्य में देखता, ऐसा विरला कोय. (राम-रावण-लक्ष्मण-तेणे जे पाल्युं (शील), एवा बीजा. विरला होय)
नररिपु वाहन तास रिपु, रिपु रिपु जे होय,
तास कटी अनुहारडे, कहीए विरला कोय. (मनुष्यरिपु यम, तेनुं वाहन भेंसो, तेनो शत्रु वाघ, तेनो रिपु सिंह - तेनी केड - एवा विरल होय) प्रथम अक्षर विण बाल पियारी, मध्य अक्षर विण पेरे नारी; अंत अक्षर विण सेणा दीजे, ऐसे नामें सेर सुणीजे. (सादडी) प्रथम अक्षर विण जग जीवाडे, मध्य अक्षर विण जग संहारे; अंत अक्षर विण सघले मीठो, ए अंचंभो नयणे दीठो. (सारस) प्रथम अक्षर विण कोइक जीवे, मध्य अक्षर विण महिला छाजे; अंत अक्षर विण होत संहारी, एण नामे संसार में प्यारी. (बाजरी) षट्पद वाहन तास सुत, तसु पुत्री कर जेह; जोई राखो जुगत सुं, वनरिपु-रिपु सुं तेह. (भमरो-कमल-ब्रह्मा-सरस्वती-पुस्तक, तेने अग्नि-पाणीथी बचावो)
अथ एक अक्षर उत्तर लिख्यते - १. वंदै नही क्युं देव-गुरु, विकै न वस्तु विवेक;
छोडै ऐठो अन्न क्युं, उत्तर त्रिहूंरो एक. (भाव नही) २. पूछे किम सवाद नही, दीधै किम फिर दीध;
दाडिमकण ज्युं पोस्तकण, जुदा नही किण विध. (थर नही) ३. हाथी जनमि किसुं न है, वैद दियै किम पत्थ;
नर आदर किम ना लहै, उत्तर त्रिहुं इक अत्थ. (जर नही)