Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 18
________________ जून - २०१७ शत्रुञ्जयस्थित इन्द्रमण्डपनी प्रशस्ति (२) गिरनारमा वस्तुपालकारित शत्रुञ्जय (शत्रुञ्जयावतार) चैत्यनी प्रशस्ति छ । हाल बन्ने प्रशस्तिओ त्यां शिलालेखरूपे जोवा मळती नथी, पण तेनी कागळ पर उतारेल नकलस्वरूपे प्राप्त थाय छे । वर्तमानमां प्राप्त वस्तुपालसम्बन्धी प्रशस्तिओमां आ बन्ने मोटी अने विशेषविगतो धरावती होवाथी घणुं महत्त्व धरावे छे । ते बन्ने रचनाओ एक ज कर्ता श्रीबालचन्द्रसूरिजीनी होवानुं गौरव पण राखे छे । चन्द्रगच्छना नायकश्री देवेन्द्रसूरिजी → भद्रेश्वरसूरिजी → अभयदेवसूरिजी -> हरिभद्रसूरिजीना शिष्य बालचन्द्रसूरिजी. __ प्रस्तुत बन्ने कृतिमां बालचन्द्रसूरिनी गुरुपरम्परा उपर मुजब जोवा मळे छ। तेमना जीवनचरित्र विशे केटलीक माहिती आपणने तेमना ज बनावेल 'वसन्तविलासकाव्य'मांथी प्राप्त थाय छे । मोढेरक(मोढेरा) शहेरमां धरादेव नामनो ब्राह्मण हतो । तेने विद्युत् नामनी पत्नी अने मुंजाल नामे पुत्र हतां । मुंजाल गृहस्थावस्थामां पण वैराग्यवासित चित्तवाळो हतो । अनुक्रमे तेने हरिभद्रसूरिजीनो समागम थयो । पूज्य श्रीनां वचनो सांभळी वैराग्यथी मात-पितानी आज्ञा लई तेणे तेमनी पासे 'बालचन्द्र' नामथी दीक्षा ग्रहण करी हती । थोडा समयमां ज ते सर्वविद्यामां पारंगत थई गयो । 'पद्मादित्य' नामना विद्वान प्रभावक साधु ओमना विद्यागुरु हता । अन्तसमये हरिभद्रसूरिजीए तेमने पोतानी पाटे स्थापित कर्या हता। वादिदेवसूरिगच्छना उदयप्रभसूरिजी पासेथी तेमणे 'सारस्वतमन्त्र' प्राप्त को हतो । एकवार ते मन्त्रनुं ध्यान करता तेमने योगनिद्रामां सरस्वतीदेवीए दर्शन अने कवित्वना आशीर्वाद आप्या हता । साथे तेमने पुत्र तरीके स्वीकार्या (संबोध्या) हता। तेमना आचार्यपदप्रसंगे महामन्त्री वस्तुपाले १००० (एक हजार) द्रम्म खा हता। प्रस्तुत बे प्रशस्ति सिवाय बालचन्द्रसूरिजीए 'करुणावज्रायुध' नाटकनी, तथा आसड कवि कृत 'विवेकमञ्जरी' अने 'उपदेशकन्दली'नी टीकानी रचना करी छ । प्रशस्तिपरिचय : (१) इन्द्रमण्डपप्रशस्तिः आ प्रशस्ति कुल १३८ पद्योनी छे । तेमां श्लो. १ थी ८मां कविए

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